HYMN II. Vāyu.
1.वायवा याहि दर्शतेमे सोमा अरंक्र्ताः |
तेषां पाहि शरुधी हवम ||
BEAUTIFUL Vāyu, come, for thee these Soma drops have been prepared:
Drink of them, hearken to our call.
हे प्रिय दर्शी वायुदेव ,हमारी प्रार्थना सुनकर आप यज्ञ स्थल पर आये .आपको निर्मित सोमरस प्रस्तुत है, इसका पान करे.
2.वाय उक्थेभिर्जरन्ते तवामछा जरितारः |
सुतसोमा अहर्विदः ||
Knowing the days, with Soma juice poured forth, the singers glorify
Thee, Vāyu, with their hymns of praise.
हे वायुदेव सोमरस तैयार करके रखने वाले उसके गुणों को जानने वाले स्तोतागन स्तोत्रो से आपकी स्तुति करते है.
3.वायो तव परप्र्ञ्चती धेना जिगाति दाशुषे |
उरूची सोमपीतये ||
Vāyu, thy penetrating stream goes forth unto the worshipper,
Far-spreading for the Soma draught.
हे वायु देव आपकी प्रभावोत्पादक वाणी ,सोमयज्ञ करने वाले यजमानो की प्रसंसा करती हुई अवं सोमरस का विशेष गुणगान करती हुई , सोमरस का पान करने की अभिलासा से , दाता के पास पहुचती है .
4.इन्द्रवायू इमे सुता उप परयोभिरा गतम |
इन्दवो वामुशन्ति हि ||
These, Indra-Vāyu, have been shed; come for our offered dainties’ sake:
The drops are yearning for you both.
हे इंद्रा देव ,हे वायुदेव , यह सोमरस आपके लिए निचोड़ा गया है ,आप अन्नादि पदार्थो के साथ यहाँ पधारे ,क्योकि यह सोमरस आप दोनों की कामना करता है.
5.वायविन्द्रश्च चेतथः सुतानां वाजिनीवसू |
तावा यातमुप दरवत ||
Well do ye mark libations, ye Vāyu and Indra, rich in spoil!
So come ye swiftly hitherward.
हे वायुदेव हे इंद्रा देव आप अन्नादि पदार्थो और धन से परिपूर्ण है अवं अभिसुत्त सोमरस की विशेषता को जानते है.अतः आप शीघ्र ही इस यज्ञ me पदार्पण करे.
6.वायविन्द्रश्च सुन्वत आ यातमुप निष्क्र्तम |
मक्ष्वित्था धिया नरा ||
Vāyu and Indra, come to what the Soma-presser hath prepared:
Soon, Heroes, thus I make my prayer.
हे वायुदेव ,हे इन्द्रदेव आप सामर्थ्य शाली है,आप यजमान द्वारा बुद्धिपूर्वक निष्पादित सोम के पास शीघ्र पधारे.
7.मित्रं हुवे पूतदक्षं वरुणं च रिशादसम |
धियं घर्ताचीं साधन्ता ||
Mitra, of holy strength, I call, and foe-destroying Varuṇa,
Who make the oil-fed rite complete.
घृत के सामान प्राणप्रद वृस्तिसम्पन्न वाले मित्र और वरुणदेव का हम आह्वान करते है.मित्र हमे बलशाली बनाये और वरुण देव हमारे शत्रुओ का नाश करे.
8.रतेन मित्रावरुणाव रताव्र्धाव रतस्प्र्शा |
करतुं बर्हन्तमाशाथे ||
Mitra and Varuṇa, through Law, lovers and cherishers of Law,
Have ye obtained your might power
सत्य को फलितार्थ करने वाले सत्ययाग्य के पुस्तिकारक मित्रवारुनो ,आप दोनों हमरे पुण्यदायी कार्यो को सत्य से परिपूर्ण करे.
9.कवी नो मित्रावरुणा तुविजाता उरुक्षया |
दक्षं दधाते अपसम ||
Our Sages, Mitra-Varuṇa, wide dominion, strong by birth,
Vouchsafe us strength that worketh well.
अनेक कर्मो को सम्पन्न करने वाले विवेकशील तथा अनेक स्थलों me निवास करने वाले मित्रावरुण हमारी क्षमताओं और कार्यों को पुष्ट बनाते है.